मशहूर नहीं, तभी सुरक्षित-चंदलाई झील

- अजय पारिख


देशी-विदेशी पक्षी करने आते हैं  विहार


कई दफा हमारी नजरें दूर के लक्ष्यों पर स्थित होती हैं, लेकिन  पास के दृश्यों को अनदेखा कर देती हैं। कुछ ऐसा ही पिछले दिनों अनुभव हुआ। मैं एक फोटोग्राफर हूं और सदैव दुर्लभ वस्तुओं - मेले, नृत्य, प्राकृतिक सौंदर्य एवं पशु-पक्षियों की खोज में लगा रहता हूं। इसी खोज समस्त भारत का भ्रमण किया, लेकिन इस बात से अनजान रहा कि मेरे घर से कुछ ही दूर एक सुन्दर झील है, जिसमें देश-विदेश से बड़ी संख्या में पक्षी विहार करने आते हैं।


राजस्थान की राजधानी जयपुर के पास राष्ट्रीय मार्ग संख्या 12, टोंक रोड पर टोल नाका से पहले दाएं हाथ पर  लगभग 3 किलोमीटर अंदर स्थित है-चंदलाई झील। जयपुर से इसकी दूरी लगभग 30 किलोमीटर है। यह झील दुर्लभ पक्षियों का आशियाना बनी हुई है।


झील के चारों ओर खेत ही खेत हैं। हरे-भरे क्षेत्र से घिरी यह झील एकदम शांत वातावरण में शहर के कोलाहल से दूर, मानो समाधि में स्थित हो। इसके शांत पानी में शहर से आता गंदा पानी मिलता है  और इसी गंदे पानी में पनपने वाले कीड़े-मकोड़े यहां के पक्षियों का भोजन बनते हैं। शायद इसकी और पर्यटकों की दूरी की वजह से, यहां गर्मियों का समय छोड़ दें तो, अगस्त से मार्च तक  काफी अच्छी तादाद में पक्षी देखे जा सकते हैं।  36 वर्ग किलोमीटर मीटर में फैला इसका दामन स्थानीय बाशिंदों की वजह से सुरक्षित है। इतना सुरक्षित कि पक्षी ग्रामीणों के पास तक चले जाते हैं।


ऐसा नहीं कि जयपुर में यह एकमात्र झील है, जहां पक्षी आते हैं। जयपुर की मानसागर झील में भी बड़ी संख्या में पक्षी आते हैं, लेकिन चंदलाई झील में पक्षियों की किस्में एवं संख्या दोनों ज्यादा है। चंदलाई में पक्षी समय भी ज्यादा बिताते हैं।


यह झील पर्यटकों के लिए विकसित नहीं की गई है, न ही यहां पक्षियों के देखने के लिए वॉच टावर या पहुंच मार्ग बनाया गया हैं। इसके आस पास रेस्त्रां, होटल भी नहीं हैं। पक्षियों को देखने का लुत्फ उठाना है तो पैदल ही चलकर आना पड़ेगा। कच्चे रास्ते से आप दूरबीन की सहायता से छोटे पक्षियों को देख सकते हैं और बिना दूरबीन के बड़े पक्षी दिखाई देते हैं।


पक्षी प्रेमियों के लिए यह झील आकर्षक है। शांत झील का मुख्य आकर्षण फ्लेमिंगो है, जो  विशेष प्रकार की शैवाल- इस्पेरुलिना खाती है। ये इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।  झील में ग्रेटर फ्लेमिंगो, हेडेड गीज, कॉमन शेल डक, कॉमन टील, लेसर फ्लामिंगो, ग्रे हेरोन, कैटल ईगरेट, ग्रेट व्हाइट पैलिकन, शिकरा, कॉमन मैना, बेंक मैना, डार्टर, व्हाइट थ्रोटेड किंगफिशर, इंडियन रालर, कॉमन टेलर बर्ड, लिटिल इएग्रेट, इंटरमीडिएट इएग्रेट, एशियन पाईड मैना, ब्लैक काइट, पिन टेल, टफ्टेड डक, रफ आदि पक्षी भी विहार करते देखे जा सकते हैं।


इन पक्षियों को बड़े-बड़े समूह में उड़ते देखने का अलग ही आनंद है। ये आकाश में उड़ते हुए अलग-अलग सुंदर आकृतियां बनाते हैं, जैसे वी, सी, वाई, एक्स आदि। बड़े लेंस के कैमरे में इन पक्षियों के दुर्लभ पलों को भी कैद किया जा सकता है।


वैसे इस झील का ज्यादा प्रसिद्ध न होना शायद इस झील और इसमें गोते लगाते पक्षियों के लिए बेहतर है, लेकिन बिना किसी व्यवस्था के इस झील के अस्तित्व को खतरा भी है। यहां कई वॉटर पम्प लगे हैं, जो झील से खेती के लिए पानी निकालते हैं। इससे झील में पानी की कमी लगातार होती रहती है। पम्पों का शोर और काला धुआं झील को प्रदूषित भी कर रहा है। आसपास हो रहे निर्माणकार्य भी झील के शांत वातावरण को प्रभावित कर रहे हैं।


फिर भी भोजन की प्रर्याप्त उपलब्धता, चारों ओर हरियाली, पर्यटन स्थल न होने की वजह से पक्षियों को यह जगह सुरक्षित लगती है। पक्षी प्रेमियों के लिए बहुत ही आकर्षक झील है यह। मुख्य झील के अलावा आसपास कई जगहों पर पानी के छोटे-छोटे तालाब बन गए हैं। वहां पर भी पक्षी कलरव करते दिख जाते हैं। इस मौसम में सूर्यास्त का नजारा भी देखने लायक होता है ।