-हेमलता चतुर्वेदी
कोरोना के साइड इफैक्ट से मनोरंजन जगत में उदासी छा गई। फिल्मों व धारावाहिकों की शूटिंग रोक दी गई। कुछ अवार्ड समारोह स्थगित हुए, कुछ हुए तो बिना दर्शकों के संपन्न करवा लिए गए। बड़ी फिल्मों की रीलिज टाल दी गई। एक ओर जहां बॉक्स ऑफिस वार के चलते सलमान खान, अक्षय कुमार जैसे बड़े स्टार रीलिज की तारीख आगे-पीछे करने की कोशिश करते है, वहीं अब कोरोना महामारी के कारण सभी स्टार अपनी फिल्में बाद में रीलिज करने की बात कर रहे हैं। हाल ही रीलिज हुई इरफान खान की कमबैक कही जा रही फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ रीलिज तो हुई लेकिन कोरोना लॉक डाउन के चलते सिनेमा हॉल ही बंद हो गए। सो एक अच्छी फिल्म कोरोना भय की भेंट चढ़ गई।
सही है, प्रकृति से बड़ा स्टार कोई नहीं। यह बात आज पूरी दुनिया कह रही है। बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक कई फिल्मों में प्रकृति के महत्व की बात की गई है, तो कुछ साई-फाई (साइन्स फिक्शन) फिल्में भी बनीं। इन फिल्मों के विषय वायरस महामारी फैलना रहा या फिर किसी हिट फिल्म की कहानी का आधार वायरस बना। विद्या बालन अभिनीत सस्पेंस थ्रिलर ‘कहानी’ का पहला दृश्य ही यह है कि ट्रेन में वायरस से फैली गैस से उसमें सवार कई यात्रियों की मौत हो जाती है। इसी प्रकार विज्ञान आधारित फिल्में बनाने के लिए जाना-माना नाम राकेश रोशन की ‘कृष-3’ में विज्ञान के सदुपयोग और दुरूपयोग के बीच की जंग दिखाई गई है। फिल्म का खलनायक विज्ञान का दुरूपयोग कर दुनिया को खतरे में डालने की कोशिश करता दिखाया गया है। इस प्रक्रिया में वह और उसकी विज्ञान जनित आसुरी शक्तियां एक वायरस को धरती पर फैला कर विश्व के लोगों की जान जोखिम में डाल देता है और सुपर हीरो कृष धरती को विनाश से बचाता है।
काश! आज कोई सुपर हीरो आए और दुनिया को कोरोना वायरस के कहर से बचा दे! परन्तु फिल्म और असल जगत में यही फर्क है। यहां हम खुद सुपर हीरो हैं। अपनी समझ से वायरस से दूरी बनाकर सबको स्वयं को बचाना है और दुनिया को बचाने में योगदान देना है। आज फिल्मी हस्तियां असल जिंदगी में यही भूमिका अपना रही हैं। इसीलिए कोरोना से बचाव का मंत्र ‘सम्पर्क से बचाव’ का अनुकरण करते हुए फिल्म और धारावाहिकों की शूटिंग तो टाल ही दी गई, ताकि वायरस फैले नहीं, बल्कि कुछ फिल्मी सितारों ने पहल करते हुए सैट पर काम करने वाले उन लोगों को राशन बांटने और फंड देने का फैसला किया जो लोग दैनिक भत्तों पर काम करते हैं। वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलॉइज के इस निर्णय में सोनम कपूर, जावेद अख्तर, मधुर भण्डारकर, सलीम मर्चेंट, संजय गुप्ता, विवेक अग्निहोत्रि और करणवीर वोहरा ने साथ दिया और मदद के लिए आगे आए।
सोशल मीडिया से लेकर टीवी तक फिल्मी हस्तियां जनता को कोरोना से बचाव का संदेश देती नजर आईं। बिग बी ने टीवी पर कोरोना से बचाव की नसीहत दी तो कार्तिक आर्यन, दीपिका पादुकोण, अनुष्का शर्मा और रवीना टंडन अपने-अपने अंदाज में कोरोना से सावधानी का वीडियो शेयर करते देखे गए। सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए आज सोशल मीडिया उपयोगी
नजर आ रहा है। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि सोशल मीडिया के साथ ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ जैसे शब्द प्रचलित होंगे। कौन जाने छह महीने बाद कोरोना त्रासदी को लेकर कोई बॉलीवुड फिल्म रीलीज होने को तैयार हो।
फिलहाल लोग 2011 की हॉलीवुड मूवी ‘कॉन्टेजन’ की चर्चा कर रहे हैं, जिसमें ऐसी ही महामारी को फिल्म का आधार बनाया गया है, जो आजकल कोरोना वायरस के रूप में असल समस्या बन कर दुनिया के सामने खड़ी है। ‘कॉन्टेजन’ के अलावा हॉलीवुड मूवी ‘ट्रेन टू बुसान’, ‘12 मंकीज’, ‘वल्र्ड वार जेड’ और ‘पैनेडेमिक’ में वैश्विक महामारियों को केंद्र में रख कहानी गढ़ी गई।
कहीं ऐसा तो नहीं कल्पनाएं कभी सच हो जाती हैं। ऐसे में इसलिए एक नई पहल अति से बचने की करनी होगी। श्रव्य-दृश्य माध्यम का मानस पर कितना असर होता है, इसे देखना हो तो कुछ साल पहले आई बॉलीवुड फिल्म ‘दृश्यम’ सबसे सटीक कहानी है। कमाल की बात यह है कि यह पहली बॉलीवुड फिल्म कहलाई, जिसका चाइनीज रीमेक बना।